अमेठी की "तुलसी" क्या फिर देंगी "राजकुमार" की चुनौती??


जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नेपाल के नाइटक्लब वीडियो को लेकर लोगों के निशाने पर थे,  तब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) वायनाड पहुंच गयी थीं। स्मृति ईरानी वैसे तो विभागीय दौरे पर गयी थीं, लेकिन वायनाड के राहुल गांधी का चुनाव क्षेत्र होने की वजह से मामला सरकारी कम और राजनीतिक ज्यादा लग रहा है। राजनीतिक हलकों में, स्मृति के दौरे को राहुल गांधी के खिलाफ एक कदम के रूप में देखा जाता है, जो निर्वाचन क्षेत्र से लगातार अनुपस्थिति के लिए कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं।

स्मृति ईरानी का वायनाड दौरा वैसा ही लगता है जैसा 2019 से पहले उनका अमेठी का कार्यक्रम बना करता होगा। 2014 में वो राहुल गांधी से चुनाव हार गयी थीं, लेकिन केंद्रीय मंत्री की हैसियत से अमेठी मौके बेमौके अक्सर ही पहुंच जाया करती थीं। तब तो राहुल गांधी को शायद ही परवाह रही हो, लेकिन अब तो उनकी पूरी टीम अलर्ट हो गयी होगी। 

कैसा है वायनाड? 
वायनाड देश के 118 सबसे अविकसित जिलों में से एक है योजना (एडीएस) के लिए चुना गया था। स्मृति ईरानी जिले में एडीएस की स्थिति की समीक्षा करने पहुंचीं. एडीएस देश के अधिकांश अविकसित जिलों के व्यापक विकास के उद्देश्य से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी जिसे आकांक्षी जिला योजना है। वायनाड केरल का एकमात्र जिला है जिसे इस योजना के लिए चुना गया है। फरवरी के लिए नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग के अनुसार, योजना के तहत समग्र प्रदर्शन में जिला 101वें स्थान से नीचे चला गया।
वायनाड (Wayanad) में स्मृति ईरानी ने स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठक कर विकास के कामों की समीक्षा तो की ही, केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों के साथ भी बातचीत की और वस्तुस्थिति को समझने की कोशिश की, लेकिन बाद में जो मीडिया को बताया, उसमें वायनाड की भी पहले जैसी स्थिति समझाने की कोशिश लगी। 


केंद्रीय मंत्री ईरानी की वायनाड को लेकर जो सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी रही, वो ये कि जिले में बहुत कुछ है, जिसे नहीं किया गया है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री को स्थानीय प्रशासन ने आश्वास्त किया है कि जो काम नहीं हो पाये हैं, उनको पूरा कर लिया जाएगा समीक्षा के बाद स्मृति ईरानी ने मीडिया को वायनाड में विकास कार्यों की स्थिति का जो स्केच पेश किया उसके निशाने पर तो राहुल गांधी ही लगते हैं। 

अमेठी पर तो बीजेपी ने फतह पा ली है, लेकिन पश्चिम बंगाल की तरह केरल में भी चूक गयी है। निश्चित रूप से अब 2024 में बेहतर प्रदर्शन की कोशिश हो सकती है, लेकिन अमेठी को लेकर मलयालम में एक वीडियो शेयर कर स्मृति ईरानी ने मामला थोड़ा पेंचीदा कर दिया है - क्या ये केरल में बीजेपी के पांव जमाने की कोशिशों का हिस्सा है या सच में मेन टारगेट राहुल गांधी ही हैं?


कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना 
स्मृति ईरानी ने बताया कि वायनाड जिले में करीब 57 हजार किसान ऐसे हैं जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है। ऐसे ही 1.35 लाख परिवारों के पास पानी के कनेक्शन नहीं हैं। साथ ही आवासीय योजनाओं को भी लागू नहीं किया जा रहा है। 
अपने हिसाब से राहुल गांधी को उनके संसदीय क्षेत्र में विकास की स्थिति पर आईना दिखाते हुए स्मृति ईरानी ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का उदाहरण दिया. स्मृति ईरानी ने बताया कि हाल ही में वो ऐसे ही फतेहपुर के दौरे पर थीं - और पाया कि जो फतेहपुर पहले नीति आयोग की सूची में 111वें स्थान पर रहा वो अब सीधे 8वीं पोजीशन हासिल कर चुका है. स्मृति ईरानी का कहना है कि वायनाड में की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है.


स्मृति ईरानी ने वायनाड की जो तस्वीर खींची है, उसके दायरे में निशाने पर राहुल गांधी के साथ साथ केरल की पी. विजयन सरकार भी आ जाती है। फतेहपुर और वायनाड जिलों की तुलनात्मक स्थिति पेश कर स्मृति ईरानी ने अपनी तरफ से केरल की विजयन सरकार और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का फर्क समझाने की कोशिश की है - एक तरह से इसे डबल इंजिन की सरकार के होने के फायदे और न होने के नुकसान के तौर पर देख सकते हैं। 
विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी केरल के लोगों को ऐसा नहीं समझा पायी, लेकिन अब अगले आम चुनाव को लेकर तैयारी शुरू लगती है। विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कोई एंट्री प्वाइंट खोज रही थी, लेकिन मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के लंबे चौड़े दावों के बाद पीछे हट गयी थी। आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए माहौल बनाने के लिए लगता है वायनाड को एंट्री प्वाइंट बनाने की तैयारी हो रही है। राहुल गांधी का चुनाव क्षेत्र होने की वजह से स्मृति ईरानी के जरिये बीजेपी के लिए ये काम भी आसान हो जा रहा है। 

ऐसे अफसर के लिए जिम्मेदार कौन? 
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से भी एक उदाहरण पेश किया है। पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत एक कार्यक्रम है - कन्या शिक्षा प्रकाश उत्सव. इस कार्यक्रम के तहत स्कूल छोड़ चुकी छात्राओं को वापस लाने की कोशिश होती है।  स्मृति ईरानी ने बताया कि वायनाड के जिला शिक्षा अधिकारी को इस कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं थी। 
सवाल ये है कि अधिकारी की अनभिज्ञता बता कर स्मृति ईरानी क्या संदेश देना चाहती हैं?


क्या ऐसे अफसरों के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है?
या निशाने पर यहां भी राहुल गांधी ही हैं - अगर राहुल गांधी ने अफसरों के साथ बतौर सांसद मीटिंग की होती तो ये बात स्मृति ईरानी से पहले वो ही बता सकते थे। 

ये तो राहुल को घेरने की ही कोशिश है
स्मृति ईरानी ने ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया है। वीडियो के साथ स्मृति ईरानी लिखती हैं, वायनाड में हमारे मित्रों के लिए... विद लव फ्रॉम अमेठी.

वीडियो के जरिये स्मृति ईरानी ने अमेठी का बीता कल और आज दिखाने की कोशिश की है. वीडियो के जरिये ये समझाने की कोशिश की गयी है कि गांधी परिवार के गढ़ के रूप में जाने जाने वाले अमेठी का हाल पहले कैसा था और अब कितना बदल गया है। 


मतलब, साफ है वायनाड को अमेठी की तस्वीर दिखा कर सपने दिखाने की कोशिश हो रही है। लोगों को ये समझाने की कोशिश लगती है कि अगर वे राहुल गांधी को ही वोट देते रहे तो वायनाड भी पहले वाले अमेठी की तरह पिछड़ा रहेगा - लेकिन इरादा बदले तो तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल सकती है। 

स्मृति ईरानी ये सब करने के बाद एक सवाल तो बनता ही था, मीडिया ने पूछ भी लिया कि क्या वो वायनाड से चुनाव लड़ने पर विचार करेंगी?

लेकिन स्मृति ईरानी से बगैर घुमाये फिराये साफ साफ बता दिया, 'मैं राहुल गांधी नहीं हूं... मैं अमेठी से नहीं भागती...'


खूब चली जुबानी जंग
केंद्रीय मंत्री के दौरे पर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। डीसीसी अध्यक्ष एनडी अप्पाचन ने कहा कि स्मृति ईरानी के दौरे से कांग्रेस को डरने की कोई बात नहीं है। "वायनाड के सांसद राहुल गांधी का वायनाड के लोगों में बहुत प्रभाव है और भाजपा मतदाताओं के बीच उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ नहीं कर सकती है।" उन्होंने कहा, "राहुल गांधी वायनाड के विकास को अत्यधिक महत्व दे रहे हैं।" “भाजपा निर्वाचन क्षेत्र से उनकी अनुपस्थिति को उजागर कर रही है। यहां हर समय उनकी मौजूदगी सुनिश्चित करना आसान नहीं है क्योंकि वह एक राष्ट्रीय नेता हैं।"

इस पर भाजपा जिलाध्यक्ष केपी मधु ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वायनाड ने 2019 में अमेठी में लोकसभा चुनाव हारने पर राहुल गांधी को आश्रय प्रदान किया था। “लेकिन, उनके (राहुल) के पास वायनाड के विकास के लिए खर्च करने का समय नहीं है। जिले के लोग इस बात को पहले ही समझ चुके हैं कि कांग्रेस की जीत से जिले को भारी नुकसान हुआ है। 

लेकिन अब सवाल यही है की क्या इसे ऐसे समझें की अब वायनाड पर भी स्मृति ईरानी वैसे ही ध्यान देने वाली हैं, जैसा अमेठी के मामले में रहा?


Comments

  1. Bahut badhiya uddeshya bhai

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  2. दिल्ली अभी दूर है वायनाड अभी पास है ना जाने कब ये लौटेंगे सियाशी दंगल में न जाने कोई ख़ास है ।
    जय हो

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