तुलसी के आंगन में कैसे खिले कमल जब दो बहुओं में मचा रण!

अमेठी हमेशा से सियासत का केंद्र बिंदु रहा है।यहां का चुनाव गांधी परिवार के साथ जोड़कर देखा जाता था। पहले इस जिले को गांधी नेहरू परिवार के गढ़ के नाम से जाना जाता था।हर चुनाव में चाहे वह लोकसभा हो या विधानसभा पूरे देश की निगाहें यहां के परिणाम पर लगी रहती थी। 

2019 ने रचा इतिहास
2019 में एक ऐतिहासिक घटना घटी जब भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने तब के वर्तमान सांसद और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 55000 वोटों से मात दे दी। 2014 में भी यहां से लड़ी थी और राहुल गांधी के जीत का अंतर एक लाख तक ला दिया था। 

            अमेठी सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी

अब स्मृति ईरानी है पहचान
अभी जिले की पहचान स्मृति ईरानी से होती है। जब से वह 2014 में चुनाव लड़ने आए तब से उनका नाम यहां से जुड़ कर देखा जाने लगा। 2014 में हारने के बाद भी स्मृति ईरानी यहां से जुड़ी रही जिसका परिणाम यह हुआ कि 19 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का यह दुर्ग ढा दिया। स्मृति ईरानी राजनीति में आने से पहले अभिनय का काम कर चुकी थी। उन्होंने "कभी सास भी बहू थी" धारावाहिक से घर घर में तुलसी के रूप में अपनी पहचान बना ली थी। 


एक परिचय
अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे बसपा सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था। अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है।अमेठी जिले में 5 विधानसभा सीटें आते हैं दो वही लोकसभा के अंतर्गत सिर्फ 4 विधानसभा सीटें आती हैं। 

शाही इतिहास
अमेठी की पहचान अमेठी रियासत से भी है जिसकी स्थापना राजा सोढ़ देव ने की थी।अमेठी राज परिवार के राजा रणंजय सिंह ने 1962 में संजय सिंह को दत्तक पुत्र बनाया था। 
                    अमेठी का शाही महल

अमेठी लोकसभा
अमेठी लोकसभा में 5 विधानसभा सीटें हैं। इसमें सलोन, जगदीशपुर, तिलोई अमेठी और गौरीगंज शामिल है। अमेठी सदर विधानसभा का निर्वाचन क्षेत्र संख्या 186 है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी के सदर विधानसभा में 1952 से लेकर अब तक 18 विधायक बन चुके हैं। इसमें एक महिला 17 पुरुष है। बाकी 16 राजपूत, एक ब्राह्मण और एक मुस्लिम समाज के थे।
अमेठी विधानसभा सीट से साल 1957 के चुनाव में कांग्रेस के रमाकांत सिंह, 1962 में कांग्रेस के बैजनाथ सिंह, 1967 में जनसंघ के आरपी सिंह, 1969 में जनसंघ के टिकट पर राजा रणंजय सिंह विधायक बने। 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के हरिचरण यादव, 1980 और 1985 में कांग्रेस के टिकट पर राज परिवार के संजय सिंह, 1989 और 1991 में कांग्रेस के हरि चरण यादव विधायक निर्वाचित हुए थे।1993 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के जमुना मिश्रा, 1996 में कांग्रेस के राम हर्ष सिंह, 2002 में बीजेपी और 2007 में कांग्रेस के टिकट पर अमिता सिंह, 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) के गायत्री प्रसाद जीते थे। 


2017 का जनादेश
अमेठी विधानसभा सीट से साल 2017 में अमेठी राजघराने की दो बहुएं आमने-सामने थीं। अमेठी के महाराज संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह बीजेपी तो दूसरी पत्नी अमिता सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में थीं।बीजेपी की गरिमा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के गायत्री प्रसाद प्रजापति को 5065 वोट से हरा दिया था। बसपा के रामजी तीसरे और कांग्रेस की अमिता सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। 
       पूर्व विधायक और मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति

सामाजिक ताना-बाना
अमेठी विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब 3.5 लाख मतदाता हैं।इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में ब्राह्मण और राजपूत के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं
अमेठी विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं। विधानसभा में पुरुष मतदाताओं की संख्या 183429 है तो वही महिला मतदाताओं की संख्या 163895 है। साथ ही थर्ड जेंडर के भी 46 वोट है। 


क्या कहता है 17 का परिणाम
भाजपा प्रत्याशी रानी गरिमा सिंह
64226 वोट (34.22%)पाकर पहले स्थान पर रही। तो वही तत्कालीन मंत्री और सपा उम्मीदवार
गायत्री प्रसाद प्रजापति 59161(31.52%) वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। बसपा के रामजी 30175 (16.08%) तीसरे पर आये। कांग्रेस उम्मीदवार रानी अमिता सिंह चौथे स्थान पर जा पहुंची थी। रानी गरिमा सिंह के
जीत का अंतर 5065 वोटो का था। 

विधायक का रिपोर्ट कार्ड
अमेठी विधानसभा सीट से विधायक गरिमा सिंह का दावा है कि उनके कार्यकाल में विधानसभा क्षेत्र के हर इलाके का चहुंमुखी विकास हुआ है। विधायक के दावों को विपक्षी दलों के नेता हवा हवाई बता रहे हैं। 
                अमेठी विधायक रानी गरिमा सिंह

संजय सिंह भी हो चुके हैं भाजपाई
अमेठी राजघराने के राजा और मौजूदा विधायक रानी गरिमा सिंह के पूर्व पति संजय सिंह भी 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके साथ उनकी पत्नी रानी अमिता सिंह भी भाजपाई हो गई थी।

    2019 में भाजपा में शामिल होते हुए संजय सिंह और उनकी पत्नी अमिता सिंह

कब है चुनाव
अमेठी विधानसभा सीट के लिए पांचवे चरण में 27 फरवरी को मतदान होना है। गौरतलब है कि यूपी के चुनाव सात चरणों में हो रहे हैं। 1 फरवरी से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 

सपा बसपा ने उम्मीदवारों का किया ऐलान
समाजवादी पार्टी ने नाबालिग से गैंगरेप और खनन घोटाला के आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महराजी देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। अपने पति के साथ हुए अन्याय के लिए जनता से न्याय की गुहार लगा रही हैं।तो वहीं बसपा ने अपने पुराने नेता शशिकांत तिवारी की पत्नी रागिनी तिवारी पर दांव लगाया है। 
              बसपा उम्मीदवार रागिनी तिवारी


                सपा उम्मीदवार महाराजी देवी

कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते
कांग्रेस पार्टी ने जिले की बात विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं परंतु अभी सदर सीट के लिए पत्ते नहीं खोले है।शायद वह भाजपा के सूची का इंतजार कर रही है। 


भाजपा में मची है मारामारी
अमेठी सदर से भाजपा का टिकट पाने के लिए की लंबी फौज है। पार्टी के पूर्व प्रवक्ता गोविंद सिंह चौहान टिकट की कतार में खड़े हैं।आलोक ढाबे के मालिक ज्ञान सिंह भी लाइन में है। वह संघ से जुड़े हैं। गौरीगंज में संघ कार्यालय के लिए करोड़ों रुपए की जमीन के साथ बैनामे की खर्च तक दे चुके हैं। 


राज परिवार में ही है लड़ाई
अब अमेठी का पूरा ही राष्ट्र परिवार भाजपा में है तो टिकट के लिए तना होना तो स्वभाविक ही था। मौजूदा विधायक और संजय सिंह की पत्नी गरिमा सिंह जहां फिर से खुद के लिए टिकट मांग रही हैं। वह चाहती है कि पार्टी उन्हें नहीं तो फिर उनके बेटे को टिकट दे।तो वही उनके पूर्व पति संजय सिंह अपनी दूसरी पत्नी अमिता सिंह के लिए अड़े हुए हैं।
    अमेठी नरेश संजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता सिंह

पार्टी असमंजस में
इतने सारे दावेदारों के बीच पार्टी किसे अपना टिकट दे इसके लिए पार्टी का आलाकमान दिन-रात मंथन कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी राज परिवार के किसी भी गुट को टिकट ना देकर जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश अग्रहरि को अपना प्रत्याशी बनाने का सोच रही है। मसाले स्मृति ईरानी की खास आदमी माने जाते हैं। 

       अमेठी जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश मसाला

सबके अपने-अपने दावे
पार्टी द्वारा प्रत्याशियों के चैन ना होने के बाद भी सारे दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। स्मृति ईरानी के अपर सचिव विजय गुप्ता ने कहा कि अमेठी लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटों पर कमल खिलेगा, जबकि प्रियंका गांधी अमेठी रायबरेली की सभी दस सीटों पर जीत हासिल करने का दावा रायबरेली में कर चुकी हैं। अमेठी के परिणाम ईरानी और प्रियंका गांधी दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं। एक तरफ जहां प्रियंका गांधी अमेठी में वापसी के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं तो वही उसमें थी रानी कमल खिला रखने के लिए दिन रात एक की हुई है। 

                     स्मृति ईरानी Vs प्रियंका गांधी

बहुओं के बीच हो सकती है लड़ाई
अगर भाजपा भी किसी रानी को उतारती है तो अमेठी की राजनीतिक लड़ाई दिलचस्प हो सकती है। क्योंकि सपा बसपा और भाजपा ने अमेठी की बहू को मैदान में उतारा है देखना होगा अमेठी की जनता किस बहू को अपने प्रतिनिधित्व का मौका देती है। 

क्या होगा परिणाम
अमेठी की जनता किसे अपना जनप्रतिनिधि स्वीकार करेगी यह तो अब 10 मार्च को ही पता लगेगा।

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